कांगड़ा/ऊना: हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में मूसलाधार बारिश और भूस्खलन ने जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है। उपमंडल कांगड़ा में सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है, जहां कई मकान और पशुशालाएं ढह गईं। प्रशासन ने प्रभावित परिवारों तक राशन, टेंट और दवाएं पहुंचाकर राहत कार्य शुरू किया है।
पालमपुर के थुरल क्षेत्र के गुजरेड़ा गांव में लगभग 14 परिवार प्रभावित हुए। नगरोटा बगवां क्षेत्र की सद्दूं पंचायत में राम चंद का मकान ढहने पर परिवार को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया गया। शाहपुर के दुरगेला गांव में सुभाष चंद का एकमात्र कमरा ढह गया, जिसके बाद रोटरी क्लब और पंचायत ने मिलकर उनके लिए नया कमरा बनाने का संकल्प लिया है।
विकास खंड कांगड़ा की खोली पंचायत में सबसे अधिक तबाही हुई है। यहां आठ मकान और पशुशालाएं क्षतिग्रस्त हुईं। पंचायत प्रधान केवल चौधरी ने बताया कि कई परिवार अब बेघर हो गए हैं। नंदरूल, जमानाबाद, कुल्थी और काहनफट पंचायतों में भी मकानों और पशुशालाओं को भारी नुकसान पहुंचा है।
ऊना जिले में अब तक 340 करोड़ रुपये का नुकसान दर्ज किया गया है। उपायुक्त जतिन लाल ने बताया कि लोक निर्माण विभाग को 191 करोड़ और जलशक्ति विभाग को 125 करोड़ रुपये से अधिक की क्षति हुई है। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने सभी उपायुक्तों को प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर राहत व पुनर्वास कार्य तेज करने के निर्देश दिए हैं।
सरकार ने बेघर परिवारों के लिए राहत पैकेज लागू किया है, जिसके तहत शहरी क्षेत्रों में 10 हजार रुपये और ग्रामीण क्षेत्रों में 5 हजार रुपये मासिक किराया दिया जा रहा है। जिले में अब तक 24 पक्के और 81 कच्चे मकान पूरी तरह ढह चुके हैं, जबकि 381 पक्के और 543 कच्चे मकानों को आंशिक क्षति पहुंची है। इसके अलावा 35 दुकानें और 503 पशुशालाएं प्रभावित हुई हैं।
प्रशासन का कहना है कि अधिकांश सड़कें बहाल कर दी गई हैं, लेकिन बंगाणा क्षेत्र में बड़े पैमाने पर भूस्खलन के कारण बहाली कार्य जारी है।