यज्ञ भारत की सांस्कृतिक धरोहर है: स्वामी उमेशानंद



सिरसा (सतीश बंसल): दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान ने आशुतोष महाराज के सान्निध्य में 8 से 14 सितंबर तक अनाज मंडी शेड नंबर 1 सिरसा में आयोजित सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा का समापन भव्य रूप से किया। कथा व्यास साध्वी कालिंदी भारती ने भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं का वर्णन किया, जिसे सुनने के लिए बड़ी संख्या में भक्त उपस्थित हुए। संस्थान की संगीतमय टीम ने भजनों के माध्यम से वातावरण को आध्यात्मिक ऊर्जा से भर दिया।

कथा के समापन अवसर पर 15 सितंबर को हवन यज्ञ का आयोजन किया गया। इस महायज्ञ में डीजेजेएस के संत समाज, मुख्य अतिथिगण और श्रद्धालुओं ने भाग लिया। भक्तों ने अपने विकारों की आहुति यज्ञ अग्नि में समर्पित कर सकारात्मक ऊर्जा ग्रहण की। वैदिक मंत्रोच्चारण से पूरे वातावरण में शांति और पवित्रता का संचार हुआ।

स्वामी उमेशानंद ने इस अवसर पर कहा कि यज्ञ भारत की सांस्कृतिक धरोहर है, जिसे समाज में संजोए रखना आवश्यक है। उन्होंने बताया कि यजुर्वेद में यज्ञ के महत्व का विस्तृत वर्णन मिलता है। यज्ञ न केवल शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक लाभ प्रदान करता है, बल्कि उच्च मानवीय मूल्यों को बढ़ावा देता है।

उन्होंने कहा कि यज्ञ अग्नि से निकलने वाला पवित्र धुआं वातावरण से नकारात्मकता को दूर करता है और शांति, समृद्धि तथा संतोष का संचार करता है। यह तनाव से मुक्ति और प्रकृति के संरक्षण का माध्यम है। स्वामी उमेशानंद ने इसे आज की अशांत दुनिया में आशा की किरण बताया। महायज्ञ के समापन पर भक्तों ने ईश्वर का आभार व्यक्त किया और आत्मिक शांति की प्रार्थना की।


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