काशी देव दीपावली 2025: सीएम योगी ने तैयारियों की समीक्षा की; 'भारत की सांस्कृतिक आत्मा' का विश्व संदेश बनेगा यह पर्व, गंगा घाटों पर होगी ड्रोन और CCTV से निगरानी


लखनऊ : उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गुरुवार को लखनऊ में एक उच्चस्तरीय बैठक में 5 नवंबर 2025 को वाराणसी में आयोजित होने वाली देव दीपावली की तैयारियों की विस्तारपूर्वक समीक्षा की। मुख्यमंत्री ने कहा कि देव दीपावली काशी की सनातन परंपरा, गंगा आराधना और लोकआस्था का अद्वितीय संगम है, जो भारत की सांस्कृतिक आत्मा और आध्यात्मिक चेतना का विश्व संदेश बने।

तैयारियों पर सीएम योगी के प्रमुख निर्देश

मुख्यमंत्री ने देव दीपावली से पूर्व आयोजित गंगा महोत्सव (1 से 4 नवंबर) और मुख्य आयोजन की सभी तैयारियों को समयबद्ध, व्यवस्थित और उच्च गुणवत्ता का रखने का निर्देश दिया।

समन्वय और सुरक्षा: सभी विभाग आपसी समन्वय से कार्य करें ताकि कोई अव्यवस्था न हो। भीड़ नियंत्रण, सुरक्षा, स्वच्छता और यातायात प्रबंधन सर्वोच्च प्राथमिकता पर हो।

 टेक्नोलॉजी और निगरानी: घाटों पर स्मार्ट लाइटिंग, आकर्षक फ्लोरल डेकोरेशन, थीम-आधारित इंस्टालेशन तथा ड्रोन और सीसीटीवी मॉनिटरिंग की समुचित व्यवस्था की जाए। कंट्रोल रूम 24x7 सक्रिय रहे।

 स्वच्छता: घाटों, गलियों और प्रमुख मार्गों की सफाई और सजावट पर विशेष ध्यान दिया जाए तथा प्रत्येक घाट पर पर्याप्त सफाई कर्मी तैनात रहें। नाविकों की सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए उन्हें लाइफ जैकेट, पंजीकरण टैग और निर्धारित रूट की जानकारी दी जाए। घाटों के समीप आपातकालीन नौका एवं एम्बुलेंस सेवाएँ उपलब्ध रहें।श्रद्धालुओं के लिए पर्याप्त शौचालय, पेयजल व्यवस्था, चिकित्सीय सहायता और प्राथमिक उपचार केंद्र स्थापित किए जाएँ।यह आयोजन 'क्लीन काशी, ग्रीन काशी, डिवाइन काशी' के भाव को साकार करने वाला हो।

विशेष आकर्षण और सांस्कृतिक कार्यक्रम

बैठक में आगामी देव दीपावली के कुछ प्रमुख आकर्षणों की योजना बताई गई: चेत सिंह घाट पर 25 मिनट की प्रोजेक्शन सहित प्रतिदिन 3 बार लेज़र शो का आयोजन करने की योजना है।काशी विश्वनाथ धाम घाट के सामने 10 मिनट का ग्रीन फायरक्रैकर शो लेज़र शो और संगीत कार्यक्रम के साथ आयोजित किया जाएगा। काशी विश्वनाथ घाट और चेत सिंह घाट के बीच रेत की सैंड आर्ट इंस्टॉलेशन लगाई जाएगी। गंगा तटों पर आयोजित होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों में स्थानीय कलाकारों, विद्यालयों, स्वयंसेवी संस्थाओं, महिला समूहों और धर्माचार्यों की सक्रिय सहभागिता सुनिश्चित की जाएगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह पर्व केवल धार्मिक नहीं, बल्कि आस्था, अनुशासन और आत्मबल का उत्सव है, जहाँ श्रद्धालु और पर्यटक 'अतिथि देवो भव:' की भारतीय परंपरा को अनुभव करें।



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