जयराम ठाकुर का सुक्खू सरकार पर हमला: 'झूठी गारंटियों' वाली सरकार अब 'कर और कर्ज' की सरकार बनी, 35 महीने में करोड़ों का कर्ज



धर्मशाला, हिमाचल प्रदेश: पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने प्रदेश की कांग्रेस सरकार पर करारा हमला बोला है। धर्मशाला में जारी अपने प्रेस बयान में उन्होंने कहा कि 'झूठी गारंटियों' के नाम पर सत्ता में आई 'व्यवस्था परिवर्तन वाली' सुक्खू सरकार अब 'कर और कर्ज की सरकार' बन गई है। उन्होंने आरोप लगाया कि 3 साल के कार्यकाल में मुख्यमंत्री ने सिर्फ बेतहाशा कर्ज लिए हैं और प्रदेशवासियों पर लगातार कर लादे हैं।

बेतहाशा कर्ज और सीमेंट पर टैक्स वृद्धि

जयराम ठाकुर ने कहा कि पूर्व सरकार द्वारा चलाई गई योजनाओं को बंद करना और संस्थानों पर ताले लगाने के अलावा यह सरकार 3 साल में कुछ नहीं कर पाई है। उन्होंने दावा किया कि सरकार की एक ही उपलब्धि है कि वह हर महीने ₹1000 करोड़ से ज्यादा का कर्ज ले रही है, जिससे 35 महीने के कार्यकाल में कर्ज का आँकड़ा ₹40,000 करोड़ रुपए के पार पहुँच रहा है। उन्होंने कहा कि सुक्खू सरकार देश की इकलौती सरकार है, जिसने जीएसटी घटने के बाद भी सीमेंट के दाम पर एजीटी बढ़ाकर आपदाग्रस्त प्रदेश के लोगों के घर बनाने की राह कठिन कर दी है।

जश्न पर राजस्व विभाग के खर्च पर सवाल

जयराम ठाकुर ने सरकार द्वारा मनाए जा रहे 3 साल के जश्न पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि पूरा प्रशासनिक अमला जश्न की तैयारी में लगा है और सबसे हैरानी की बात यह है कि इस जश्न पर होने वाले खर्च का वहन राजस्व विभाग कर रहा है। उन्होंने दुख व्यक्त किया कि यह विभाग जान गंवाने वाले लोगों के परिजनों को अभी तक मुआवजा नहीं दे पाया है। उन्होंने कहा कि जो विभाग आपदा का दंश झेलने वाले लोगों को फौरी राहत के तौर पर अढ़ाई हजार की धनराशि समय से नहीं दे पाया, वही विभाग लोगों के दुखों को अनदेखा कर करोड़ों रुपए खर्च कर जश्न मनाएगा।

आरएसएस के खिलाफ टिप्पणी अस्वीकार्य

राजनीतिक बयानबाजी के बीच जयराम ठाकुर ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) पर की गई किसी भी मर्यादाहीन टिप्पणी को अस्वीकार्य बताया। उन्होंने कहा कि आरएसएस भारत का एक प्रतिष्ठित, अनुशासित और राष्ट्रसेवा को समर्पित दुनिया का सबसे बड़ा संगठन है, जिसने समाज के विविध क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान दिया है। उन्होंने कहा कि संघ का मूल सिद्धांत ‘एकात्म मानववाद’ हर व्यक्ति को समान अवसर और सम्मान देने की भावना पर आधारित है।



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