इस्लामाबाद: पाकिस्तान ने गाज़ा में अंतरराष्ट्रीय शांति मिशन के तहत सेना भेजने पर सहमति जता दी है। उप-प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार ने शनिवार को इस बात की पुष्टि करते हुए कहा कि पाकिस्तान गाज़ा में सुरक्षा बल तैनात करने के लिए तैयार है, लेकिन पाकिस्तानी सैनिक हमास को निरस्त्र करने की कार्रवाई का हिस्सा नहीं बनेंगे।
अंतर्राष्ट्रीय स्थिरीकरण बल (ISF) में भागीदारी
इशाक डार का यह बयान अमेरिकी मध्यस्थता वाले गाज़ा शांति समझौते पर जारी चर्चाओं के बीच आया है, जिसमें मुस्लिम बहुल देशों के सैनिकों से बने अंतर्राष्ट्रीय स्थिरीकरण बल (ISF) के गठन का प्रस्ताव है। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री ने फील्ड मार्शल से चर्चा के बाद गाज़ा में सेना भेजने के सिद्धांत पर सहमति दी है।
पाकिस्तान की भूमिका और शर्तें
विदेश मंत्रालय में आयोजित प्रेस वार्ता में डार ने कहा कि पाकिस्तान केवल संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के स्पष्ट निर्देशों के तहत ही अपनी सेना भेजेगा। उन्होंने दोहराया कि हमास को निरस्त्र करने की जिम्मेदारी पाकिस्तानी सेना नहीं उठाएगी, क्योंकि यह काम फ़िलिस्तीनी सुरक्षा एजेंसियों का है। डार के अनुसार, पाकिस्तान की भागीदारी ISF के जनादेश और उसकी भूमिकाओं के स्पष्ट होने पर निर्भर करेगी। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान का उद्देश्य शांति स्थापना है, न कि किसी पर बलपूर्वक शांति थोपना। उन्होंने बताया कि इंडोनेशिया इस मिशन के लिए 20,000 सैनिक देने का प्रस्ताव कर चुका है।
UNSC प्रस्ताव और हमास की प्रतिक्रिया
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने गाज़ा संघर्ष को समाप्त करने के उद्देश्य से एक अमेरिकी प्रस्ताव को मंजूरी दी है, जिसमें ISF की तैनाती शामिल है। पाकिस्तान सहित 13 सदस्यों ने इसका समर्थन किया, जबकि रूस और चीन मतदान से दूर रहे। इस प्रस्ताव में ISF को गाज़ा के विसैन्यीकरण के समर्थन में हथियारों और सैन्य ढांचे को नष्ट करने का अधिकार भी दिया गया है। हालांकि, हमास ने इस प्रस्ताव को अस्वीकार करते हुए प्रस्तावित अंतर्राष्ट्रीय बल की आलोचना की है और कहा है कि फ़िलिस्तीनी प्रतिरोध समूहों को निरस्त्र करने का कोई भी प्रयास मान्य नहीं होगा। पिछले महीने ऐसी अटकलें सामने आई थीं कि पाकिस्तान को हमास को निरस्त्र करने की भूमिका दी जा सकती है, जिस पर देश में राजनीतिक विरोध देखने को मिला था।