नई दिल्ली: केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय ने संसद में एक महत्वपूर्ण जानकारी साझा करते हुए माना है कि पंजाब में भूजल का स्तर बेहद चिंताजनक तरीके से गिर चुका है, जिससे राज्य में एक गंभीर संकट उत्पन्न हो गया है। लोकसभा सदस्य हरसिमरत कौर बादल के एक सवाल के जवाब में जल शक्ति राज्य मंत्री राज भूषण चौधरी ने बताया कि प्रदेश में भूजल दोहन की दर 156.36 प्रतिशत तक पहुँच गई है।
मंत्रालय द्वारा पेश किए गए 2025 के आँकड़ों के अनुसार, पंजाब में भूजल का वार्षिक पुनर्भरण 18.60 बिलियन क्यूबिक मीटर (BCM) है, जबकि इसी वर्ष सिंचाई, उद्योग और घरेलू उपयोग के लिए लगभग 26.27 BCM पानी निकाला गया। इस बेहिसाब दोहन के कारण राज्य के कुल 153 ब्लॉकों में से 111 ब्लॉक (72.55%) 'ओवर-एक्सप्लॉइटेड' यानी अत्यधिक दोहन वाली श्रेणी में आ गए हैं। रिपोर्ट बताती है कि केवल 17 ब्लॉक सुरक्षित हैं, जबकि 10 गंभीर और 15 अर्ध-गंभीर स्थिति में हैं।
संकट को और बढ़ाते हुए, रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि पंजाब के कई इलाकों में भूजल में आर्सेनिक, फ्लोराइड और यूरेनियम जैसे जहरीले तत्व तय सीमा से अधिक पाए गए हैं। केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया है कि पानी राज्य सूची का विषय है, इसलिए भूजल प्रदूषण को रोकने और बचाने की प्राथमिक जिम्मेदारी राज्य सरकारों की है। हालांकि, केंद्र सरकार राज्य सरकारों के प्रयासों को मजबूत करने के लिए पंजाब सहित देशभर में कई योजनाएं और पहल चला रही है।