स्वास्थ्य चेतावनी: मात्र 6 घंटे की नींद शरीर में शुरू कर रही है 'धीमी बीमारियां', डॉक्टर बोले— यह भ्रम है, अल्जाइमर और स्ट्रोक का खतरा कई गुना बढ़ा



मुंबई: बॉलीवुड अभिनेता आयुष्मान खुराना का एक वीडियो भले ही वायरल हो रहा हो जिसमें वह बताते हैं कि उनकी नींद अधिकतम छह घंटे ही हो पाती है, लेकिन चिकित्सा विशेषज्ञ औसतन छह घंटे की नींद को युवाओं के लिए गंभीर खतरे का संकेत मान रहे हैं। इंदौर में आयोजित न्यूरोलॉजिकल सोसाइटी आफ इंडिया की 73वीं राष्ट्रीय कान्फ्रेंस 'एनएसआइकान-2025' में विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि छह घंटे की नींद को सामान्य मानना एक भ्रम है और यह दिमाग तथा शरीर पर धीमे जहर की तरह असर डालती है। विशेषज्ञों का सुझाव सात से आठ घंटे की औसत नींद का है।

विशेषज्ञों का कहना है कि कम नींद का तात्कालिक प्रभाव एकाग्रता में कमी, कमजोर निर्णय क्षमता और मूड में बदलाव के रूप में दिखता है, जबकि भीतर ही भीतर इम्यून सिस्टम कमजोर और हार्मोनल संतुलन बिगड़ता जाता है। इसी वजह से आगे चलकर अल्जाइमर, डिमेंशिया और स्ट्रोक जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर सुरेश्वर मोहंती ने कहा कि शरीर और दिमाग दोनों की मरम्मत का असली समय रात की नींद ही होता है। लगातार छह घंटे से कम नींद हृदय व मस्तिष्क संबंधी जोखिम बढ़ाती है।

फोर्टिस मोहाली में न्यूरोसर्जरी विभाग के निदेशक डॉ. वीके खोसला के अनुसार, लोग समझते हैं कि कम सोने से प्रोडक्टिविटी बढ़ती है, लेकिन यह गलत है, क्योंकि नींद शरीर का रीसेट बटन है। मात्र छह घंटे की नींद से दिमाग में टॉक्सिन जमा होते हैं, याददाश्त कमजोर होती है, स्ट्रोक-हार्ट का खतरा बढ़ता है, और दिमाग जल्दी बूढ़ा होने लगता है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद के अनुसार, एक सामान्य व्यक्ति (18-60 वर्ष) को प्रतिदिन सात से नौ घंटे की नींद अवश्य लेनी चाहिए।



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