शिमला: हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने आज अंतरराष्ट्रीय बांध सुरक्षा सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए कहा कि राज्य में जल विद्युत उत्पादन की अपार संभावनाएं हैं, जिससे प्रदेश नवीकरणीय ऊर्जा का केंद्र बनता जा रहा है। उन्होंने कहा कि जल संसाधनों के दोहन को लेकर प्रदेश को न्याय नहीं मिला है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश की कई जल विद्युत परियोजनाएं बिना समय सीमा के आबंटित कर दी गई थीं। अब सरकार इन परियोजनाओं को प्रदेश को वापस दिलाने के लिए कानूनी राय ले रही है। उन्होंने आश्वासन दिया कि प्रदेश के हितों की रक्षा के लिए हरसंभव कदम उठाए जाएंगे, ताकि भविष्य में पीढ़ियों को इस संघर्ष का सामना न करना पड़े।
विस्थापितों को दिलाएंगे न्याय
मुख्यमंत्री ने कहा कि भाखड़ा और पौंग बांध के कारण हजारों लोग विस्थापित हुए, लेकिन वे अभी भी अपने अधिकारों से वंचित हैं। सरकार उनके हितों की रक्षा के लिए प्रयास करेगी। उन्होंने यह भी कहा कि हिमाचल प्रदेश को अपने हिस्से की बिजली प्राप्त करने के लिए सर्वोच्च न्यायालय तक जाना पड़ा, जो दुखद है।
बांध सुरक्षा पर विशेष ध्यान
मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि प्राकृतिक आपदाओं से बचाव के लिए बांधों की सुरक्षा पर विशेष ध्यान देना आवश्यक है। उन्होंने निर्देश दिए कि मानसून के दौरान बांध से पानी छोड़ने से पहले निचले इलाकों में रहने वाले लोगों को अलर्ट किया जाए।
उन्होंने अभियंताओं को गुणवत्ता और संरचनात्मक अखंडता बनाए रखने पर बल दिया। जलवायु परिवर्तन के कारण बांधों की सुरक्षा को लेकर नई चुनौतियां सामने आ रही हैं, जिनसे निपटने के लिए बहुआयामी दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है।
समिति करेगी निगरानी
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने बांध सुरक्षा समिति का गठन किया है, जो सभी बांधों की निगरानी और रखरखाव सुनिश्चित करेगी।
इस अवसर पर राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी, शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर, तकनीकी शिक्षा मंत्री राजेश धर्माणी, मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना, हिमाचल प्रदेश विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष डी.के. शर्मा, डैम सेफ्टी सोसाइटी के पदाधिकारी और अन्य अधिकारी उपस्थित थे।