रक्षा तकनीक में बड़ी छलांग: DRDO छठी पीढ़ी के फाइटर जेट के लिए क्वांटम एवियोनिक्स सेंसर विकसित करेगा, F-35 और Su-57 को मिलेगी चुनौती



नई दिल्ली: 21वीं सदी में युद्ध के तौर-तरीके बदलने के साथ, भारत एक तरफ पाँचवीं पीढ़ी के फाइटर जेट आयात करने पर विचार कर रहा है, तो दूसरी तरफ AMCA प्रोजेक्ट के तहत फिफ्थ जेन कॉम्‍बैट एयरक्राफ्ट देसी तकनीक से डेवलप करने में भी जुटा है। इन सबके बीच, रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने छठी पीढ़ी (6th Generation) का फाइटर जेट डेवलप करने वाली तकनीक विकसित करने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है। यदि यह प्रोजेक्ट सफल रहता है तो वो दिन दूर नहीं जब भारत के पास देसी तकनीक से डेवलप 6th जेनरेशन फाइटर जेट होगा, जिसके सामने F-35 और Su-57 जैसे पाँचवीं पीढ़ी के विमान भी कमतर साबित होंगे और THAAD तथा S-400 जैसे एयर डिफेंस सिस्‍टम भी फेल हो जाएंगे।

दरअसल, DRDO के अंतर्गत आने वाले रिसर्च सेंटर इमरात (RCI) ने 6th जेनरेशन वॉरफेयर के लिए जरूरी क्वांटम एवियोनिक्स सेंसर डेवलप करने के लिए प्राइवेट सेक्‍टर को औपचारिक रूप से आमंत्रित किया है। यह तकनीक भविष्य के छठी पीढ़ी के लड़ाकू विमानों की "कोर टेक्नोलॉजी" मानी जाती है। क्वांटम एवियोनिक्स वह क्षमता देती है, जिससे विमान जीपीएस बंद होने, कम्युनिकेशन जाम होने या दुश्मन के उन्नत रडार सक्रिय होने जैसी स्थिति में भी सटीक दिशा, दूरी और दुश्मन की लोकेशन के बारे में जानकारी हासिल कर सके। 6th जेनरेशन फाइटर जेट अपनी बेहद कम रडार क्रॉस सेक्‍शन (RCS) की वजह से किसी भी अल्‍ट्रा मॉडर्न रडार या एयर डिफेंस सिस्‍टम को चकमा देने में सक्षम होगा।

RCI वर्तमान में तीन प्रमुख क्वांटम क्षेत्रों पर तेजी से काम कर रहा है: क्वांटम इनर्शियल नेविगेशन (बिना जीपीएस के सटीक लोकेशन), क्वांटम मैग्नेटोमीटर (स्टील्थ विमान, पनडुब्बियां या जमीन में छिपे विस्फोटक खोजने की क्षमता) और क्वांटम रडार/लिडार (एंटैंगल्ड फोटॉन तकनीक से स्टील्थ विमान भी पकड़ना)। RCI ने पहली बार निजी कंपनियों और स्टार्टअप्स को TDF और iDEX जैसे प्रोग्रामों के तहत साझेदारी के लिए बुलाया है, ताकि इन क्वांटम सेंसरों को विमान में लगाने के लिए जरूरी मजबूती, तापमान सहने की क्षमता और छोटे आकार में विकसित किया जा सके।



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