डॉक्टरों की हड़ताल पर हरियाणा सरकार सख्त: ESMA लागू कर 6 माह के लिए हड़ताल प्रतिबंधित, ‘नो वर्क नो पे’ का आदेश; डॉक्टरों ने शुरू किया आमरण अनशन

 


चंडीगढ़: हरियाणा में सरकारी अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों के डॉक्टरों द्वारा दो दिन की हड़ताल को अनिश्चितकाल तक बढ़ाने के ऐलान के बाद सरकार ने कड़ा रुख अपनाते हुए राज्य में आवश्यक सेवा संरक्षण अधिनियम (ESMA) लागू कर दिया है। राज्यपाल ने धारा 4(क)(1) के तहत स्पष्ट किया है कि अगले छह महीनों तक स्वास्थ्य विभाग के सभी डॉक्टर और कर्मचारी किसी भी तरह की हड़ताल नहीं कर सकेंगे, क्योंकि हड़ताल से जनता के स्वास्थ्य और जीवन पर गंभीर खतरा है। सरकार ने आदेश में कहा है कि गंभीर रूप से बीमार मरीजों और अन्य लोगों की देखभाल के लिए डॉक्टरों व कर्मचारियों को बिना किसी रुकावट के अपनी ड्यूटी जारी रखनी होगी।

इधर, स्वास्थ्य मंत्री आरती राव ने वीडियो संदेश जारी कर कहा कि हरियाणा सिविल मेडिकल एसोसिएशन की कई मांगों पर सरकार विचार कर रही है और हड़ताल के बावजूद स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह बाधित नहीं हुईं क्योंकि ज्यादातर अस्पतालों में डॉक्टरों की ड्यूटी लगी रही और बड़ी संख्या में बाहर से डॉक्टर बुलाए गए थे। वहीं, स्वास्थ्य विभाग ने हड़ताली डॉक्टरों पर सख्ती करते हुए 'नो वर्क नो पे' का आदेश जारी किया है, यानी हड़ताल में शामिल डॉक्टरों को इन दिनों का वेतन नहीं मिलेगा।

इस फैसले पर डॉक्टर एसोसिएशन ने तीव्र विरोध जताया है। एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. राजेश ख्यालिया ने बताया कि सरकार को कई बार वार्ता के लिए अनुरोध भेजा गया, लेकिन कोई ठोस प्रस्ताव नहीं आया। राज्य कार्यकारिणी की बैठक में फैसला लिया गया है कि जब तक मांगें पूरी नहीं होतीं, सभी डॉक्टर अनिश्चितकालीन हड़ताल जारी रखेंगे और बुधवार से आमरण अनशन शुरू करेंगे। डॉक्टरों की मुख्य मांग एसएमओ की सीधी भर्ती से जुड़ी है। उनका कहना है कि वर्तमान नीति के तहत 75% एसएमओ पद प्रमोशन से और केवल 25% पद सीधी भर्ती से भरे जाते हैं, जिससे नौकरी में पहले से कार्यरत डॉक्टरों को पूरे करियर में मुश्किल से एक ही प्रमोशन मिलता है।

इस हड़ताल के कारण यमुनानगर, पानीपत, फतेहाबाद, जींद, कैथल, हिसार, झज्जर और चरखी दादरी जिलों में सामान्य स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित हुई हैं। कई सरकारी अस्पतालों में ओपीडी में मरीजों की लंबी कतारें लगी रहीं और गंभीर मरीजों को अन्य अस्पतालों में रेफर करना पड़ा। महेंद्रगढ़ में तो एक छह साल की बच्ची का पोस्टमॉर्टम नहीं हो सका, जिसके कारण शव को नारनौल भेजना पड़ा।


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