यूपी बीजेपी अध्यक्ष पद की दौड़ खत्म: केंद्रीय मंत्री पंकज चौधरी ने दाखिल किया नामांकन, CM योगी और केशव मौर्य बने प्रस्तावक, कल होगी औपचारिक घोषणा


लखनऊ: उत्तर प्रदेश भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के 18वें अध्यक्ष के चुनाव को लेकर चल रही अटकलों पर आज उस वक्त विराम लग गया, जब केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए अपना नामांकन दाखिल कर दिया। इस पद के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने पंकज चौधरी के नाम का प्रस्ताव किया। संगठन चुनाव प्रभारी महेंद्र नाथ पांडेय ने बताया कि पंकज चौधरी ने चार सेट में अपना नामांकन पत्र दाखिल किया है, जिस पर योगी आदित्यनाथ और केशव मौर्य के अलावा डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक, स्मृति ईरानी, स्वतंत्र देव सिंह, सूर्य प्रताप शाही, सुरेश खन्ना और बेबी रानी मौर्य जैसे वरिष्ठ नेताओं ने बतौर प्रस्तावक हस्ताक्षर किए हैं।

नामांकन पत्र दाखिल करने के दिन लखनऊ स्थित बीजेपी मुख्यालय पर गहमागहमी रही। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उपमुख्यमंत्री केशव मौर्य के साथ केंद्रीय चुनाव पर्यवेक्षक विनोद तावड़े भी मौजूद रहे। शीर्ष नेताओं के प्रस्तावक बनने से यह साफ हो गया है कि पंकज चौधरी का नाम केंद्रीय नेतृत्व द्वारा सर्वसम्मति से तय किया गया है। पंकज चौधरी महाराजगंज से सात बार के अनुभवी सांसद हैं और कुर्मी (ओबीसी) समुदाय से आते हैं। उनकी ताजपोशी के पीछे पार्टी की गहरी राजनीतिक रणनीति है, जिसके तहत बीजेपी विपक्ष खासकर सपा के पी.डी.ए. (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) समीकरण की काट करेगी और प्रदेश में ओबीसी वोट बैंक पर अपनी पकड़ मजबूत करेगी। ओबीसी नेता को संगठन की कमान सौंपकर पार्टी ने सत्ता और संगठन के बीच जातीय संतुलन को प्रभावी ढंग से साध लिया है।

पंकज चौधरी का मजबूत आधार पूर्वांचल है, जिसे आगामी चुनावों के लिए निर्णायक क्षेत्र माना जाता है, क्योंकि लोकसभा चुनाव के दौरान सपा को यहाँ बड़ी जीत मिली थी। संगठन चुनाव प्रभारी डॉ. महेंद्रनाथ पाण्डेय द्वारा घोषित कार्यक्रम के अनुसार, नामांकन प्रक्रिया पूरी होने के बाद अब 14 दिसंबर को नए प्रदेश अध्यक्ष के निर्वाचन की औपचारिक घोषणा की जाएगी। चूंकि नामांकन केवल पंकज चौधरी ने ही किया है और उन्हें शीर्ष नेतृत्व का समर्थन प्राप्त है, इसलिए उनका निर्विरोध निर्वाचन होना तय है। पंकज चौधरी की ताजपोशी से प्रदेश भाजपा में एक नए युग की शुरुआत होगी, जिसकी सीधी चुनौती 2027 के विधानसभा चुनाव और 2029 के लोकसभा चुनाव में पार्टी के लिए बड़ी जीत हासिल करना होगा।



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