भारत के महानगरों में सर्दियों के दौरान प्रदूषण का स्तर बढ़ने की उम्मीद


नई दिल्ली: एक नई रिपोर्ट के अनुसार, 2024-25 की सर्दियों में भारत के प्रमुख महानगरों में प्रदूषण का स्तर बढ़ सकता है। सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई) के विश्लेषण में पाया गया कि दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, बेंगलुरु, हैदराबाद और चेन्नई में पीएम 2.5 का स्तर 1 अक्टूबर, 2024 से 31 जनवरी, 2025 के बीच अपने चरम पर पहुंच सकता है।

रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली में सर्दियों के दौरान प्रदूषण का स्तर सबसे ज्यादा रहेगा, जिसके पीछे इसकी भूगोलिक स्थिति और प्रतिकूल मौसम को जिम्मेदार ठहराया गया है। कोलकाता इस सूची में दूसरा सबसे प्रदूषित महानगर रहा। हालांकि मुंबई, चेन्नई, हैदराबाद और बेंगलुरु में प्राकृतिक वेंटिलेशन बेहतर है, फिर भी यहां भी पीएम 2.5 की औसत सांद्रता में बढ़ोतरी दर्ज की गई।

दिल्ली में सर्दियों के दौरान पीएम 2.5 का औसत स्तर 174 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर तक पहुंच गया, जो पिछले तीन सालों के औसत से 1 प्रतिशत अधिक था। 18 नवंबर, 2024 को दिल्ली में प्रदूषण का स्तर 602 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर तक पहुंच गया, जो इस सीजन का सबसे ऊंचा स्तर था।

सीएसई की कार्यकारी निदेशक अनुमिता रॉयचौधरी ने कहा कि सर्दियों के दौरान प्रदूषण का बढ़ना शहरीकरण और बढ़ते मोटर वाहनों की समस्या को दर्शाता है। उन्होंने यह भी बताया कि स्थानीय प्रदूषण स्रोतों का प्रभाव इन शहरों में प्रदूषण के हॉटस्पॉट बनने का कारण बनता है।

रिपोर्ट के अनुसार, कोलकाता और हैदराबाद सर्दियों में दिल्ली के बाद सबसे अधिक प्रदूषित शहर रहे, जबकि मुंबई, चेन्नई और बेंगलुरु में प्रदूषण में अपेक्षाकृत कमी देखी गई।

दिल्ली का सर्दियों में औसत पीएम 2.5 स्तर 175 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर रहा। कोलकाता का स्तर 65 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर, हैदराबाद का 52 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर, मुंबई का 50 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर, चेन्नई का 36 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर और बेंगलुरु का 37 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर दर्ज किया गया।

स्वच्छ हवा के लिहाज से, मुंबई में सिर्फ 19 दिन और कोलकाता में 11 दिन ‘अच्छे’ AQI दर्ज किए गए। दूसरी ओर, हैदराबाद में 21 दिन, बेंगलुरु में 44 दिन और चेन्नई में 55 दिन ‘अच्छे’ AQI वाले दिन रहे।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि सर्दियों के मौसम में दिल्ली, कोलकाता और मुंबई में खराब वायु गुणवत्ता वाले दिनों की संख्या अधिक थी, जबकि हैदराबाद, बेंगलुरु और चेन्नई में यह संख्या अपेक्षाकृत कम रही। दिल्ली में तो इन खराब वायु गुणवत्ता वाले दिनों को स्मॉग प्रकरण के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है।

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